तब तब मेरी कलमें आँसू को स्याही कर देती हैं............... तब तब मेरी कलमें आँसू को स्याही कर देती हैं...............
यही फलन है जब नवपीढ़ी आँसू से सन जाती है सहिष्णुता जब हद से बढ़ती कायरता बन जाती है ... यही फलन है जब नवपीढ़ी आँसू से सन जाती है सहिष्णुता जब हद से बढ़ती कायरता बन जाती ह...
तांडवजन्मा प्रलयअंश हूँ केवल रचनाकार नहीं , देशद्रोह के निजपुत्रों का कर सकता सत्कार नहीं ............. तांडवजन्मा प्रलयअंश हूँ केवल रचनाकार नहीं , देशद्रोह के निजपुत्रों का कर सकता सत...
संविधान में आग लगा दो यहाँ निर्भया रोती है लुप्त दामिनी लोकतंत्र के दूषित... संविधान में आग लगा दो यहाँ निर्भया रोती है लुप्त दामि...
बिहार चुनाव के कीड़ों की भूख इतनी बढ़ चुकी थी,जातिवाद की फसल इतनी विकसित हो चुकी कि, अब कवियों की जाति... बिहार चुनाव के कीड़ों की भूख इतनी बढ़ चुकी थी,जातिवाद की फसल इतनी विकसित हो चुकी क...
कलम चलती रही निरंतर बिना रुके कलम चलती रही निरंतर बिना रुके